Monday, January 23, 2012

अन्धियारे के आँचल से सूरज निकलेगा





 सन्नाटे के सीने में तूफ़ान छुपा  है

 दर्दे-दिल में ख़ुशियों का सामान छुपा है


 अन्धियारे के आँचल से सूरज निकलेगा

काँटों के साये  में फिर से फूल खिलेगा

रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी

फिर सुबह आएगी........

फिर सुबह आएगी........


अलबेला खत्री
दी ग्रेट इन्डियन लाफ्टर चैलेन्ज -२ के सेमी फायनल राउंड में परफ़ॉर्मेंस के बाद मस्ती के मूड में नाचते हुए बायें से दायें अली हसन,नवजोत सिद्धू,पेरिजाद कोला,स्मृति ईरानी, धार्शी, अलबेला खत्री, भगवंत मान, इरफ़ान मालिक और घुग्घी

 जय हिन्द !

2 comments:

  1. सच कहा है आपने

    रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी

    फिर सुबह आएगी........

    फिर सुबह आएगी........


    अलबेला खत्री

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  2. अशा ही जीवन है। बहुत अच्छी कविता। बधाई।

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अलबेला खत्री आपका अभिनन्दन करता है